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भारत का प्रसिद्ध स्‍मारक

स्‍मारक भारत एक प्रसिद्ध देश है अपनी विरासत और ऐतिहासिक स्मारकों के लिए। किसी भी देश की पहचान उस देश के सांस्कृतिक और पुरातात्विक विकास से होती है। भारत में भी वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक अनेक शहरों, मंदिरों और स्थलों इत्यादि की खोज की जा चुकी है, जिन्होंने इस देश के महत्व को विश्व स्तर पर कई गुना बढ़ाया है। क्यूंकि मुग़ल काल, राजपूत काल और ब्रिटिश काल से लेकर आज़ादी तक हर ऐतिहासिक कड़ियों को भारत अपने में संजोये हुए है। जहाँ हर काल की छत्र-छाया का पता लगाया जा सकता है। भारतीय स्मारकों अपनी सुंदरता के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। स्मारकों मानव कल्पना और विचारों के क्षितिज खींच के खड़े उदाहरण हैं। राजाओं और बादशाहों जो भारत पर शासन अतीत से ईंटों, संगमरमर, पत्थर में उनके विचारों और मोर्टार व्यक्त करने का अपना तरीका था। इन स्मारकों सदियों पुराने हैं और दुनिया में दर्शन का उदाहरण दिया गया है। वहाँ कुछ प्रसिद्ध स्मारकों कि राज्यों और विदेशी आक्रमण के बीच युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। इन स्थानों पर जाकर आज आप इतिहास का एक बहुत कुछ है और बीते साल की उम्र में संस्कृत

प्राचीन इतिहास हर्षवर्धन

हर्षवर्धन 7वीं सदी के प्रारम्‍भ होने पर, हर्षवर्धन (606-647 इसवी में) ने अपने भाई राज्‍यवर्धन की मृत्‍यु होने पर थानेश्‍वर व कन्‍नौज की राजगद्दी संभाली। 612 इसवी तक उत्‍तर में अपना साम्राज्‍य सुदृढ़ कर लिया। 620 इसवी में हर्षवर्धन ने दक्षिण में चालुक्‍य साम्राज्‍य, जिस पर उस समय पुलकेसन द्वितीय का शासन था, पर आक्रमण कर दिया परन्‍तु चालुक्‍य ने बहुत जबरदस्‍त प्रतिरोध किया तथा हर्षवर्धन की हार हो गई। हर्षवर्धन की धार्मिक सहष्‍णुता, प्रशासनिक दक्षता व राजनयिक संबंध बनाने की योग्‍यता जगजाहिर है। उसने चीन के साथ राजनयिक संबंध स्‍थापित किए व अपने राजदूत वहां भेजे, जिन्‍होने चीनी राजाओं के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया तथा एक दूसरे के संबंध में अपनी जानकारी का विकास किया। चीनी यात्री ह्वेनसांग, जो उसके शासनकाल में भारत आया था ने, हर्षवर्धन के शासन के समय सामाजिक, आर्थिक व धार्मिक स्थितियों का सजीव वर्णन किया है व हर्षवर्धन की प्रशंसा की है। हर्षवर्धन की मृत्‍यु के बाद भारत एक बार फिर केंद्रीय सर्वोच्‍च शक्ति से वंचित हो गया। बादामी के चालुक्‍य 6ठवीं और 8ठवीं इ

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