गत माह संसद में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में सार्वभौमिक आधार पर भारत में मूलभूत आय (Basic Income) की शुरूआत करने की बात कही गई है। बिना किसी शर्त के समस्त नागरिकों को बेसिक आय की सुविधा देने से गरीबी और बेरोज़गारी जैसी समस्याओं से निपटने में निश्चित रूप से आसानी होगी। विदेशों में मूलभूत आय की अवधारणा – हाल के कुछ वर्षों में मूलभूत आय के विचार की वकालत कई देशों में की जा रही है। इस विचार के प्रवर्त्तक वामपंथी विचारक फिलिप वेन रहे हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘रियल फ्रीडम फॉर ऑल ‘ में लिखा है कि किसी व्यक्ति के अच्छे जीवन के विचार को मूलभूत आय के द्वारा उसे वास्तविक स्वतंत्रता प्रदान करके साकार किया जा सकता है। मूलभूल आय का अभिप्राय यह है कि सरकार अपने नागरिकों को किसी तरह की जाँच और काम के बिना एक निश्चित राशि उपलब्ध कराए। इसी तर्ज पर फिनलैण्ड ने 25 से 58 वर्ष तक के 2000 बेरोज़गारों को चुना है, जिन्हें वह प्रयोग के तौर पर 560 यूरो की राशि हर महीने प्रदान कर रहा है।यूरोप में इसे लोगों के रोज़गार की स्थिति को देखते हुए देने की बात कही जा रही है। बेसिक आय की अवधारणा को दूस