• सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 11 मई से तीन तलाक पर सुनवाई करेगी। सभी संबंधित पक्षों से इस मामले में चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है। निकाह हलाला और बहुविवाह पर भी सुनवाई होगी। विभिन्न याचिकाओं के जरिए इन प्रथाओं को चुनौती दी गई है।
• चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि गर्मियरे की छुट्टियों में संविधान पीठ मामले में सुनवाई करेगी। यह अहम मामला है और भावनाओं से जुड़ा है।
• केंद्र सरकार का तर्क : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में पूछा है कि एक ही बार में तीन तलाक (तलाके-बिद्दत), निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा को भारतीय संविधान में किस तरह संरक्षण प्राप्त है ?
• मुसलमानों में इस तरह के चलन को संविधान में दी गई धार्मिक आजादी से जोड़कर देखा जा सकता है या नहीं।
• मुसलमानों के पर्सनल लॉ को लेकर मोदी सरकार ने चार सवाल सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हैं। सरकार ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि इन मुद्दों पर गहराई से र्चचा की जाए। लैंगिक समानता और गरिमापूर्ण जीवन जीने के संवैधानिक अधिकार के दायरे में इन सवालों के जवाब ढूंढे जाएं। आजाद भारत में पहली बार मुसलमानों के पर्सनल लॉ को अदालत में चुनौती दी गई है।
• पर्सनल लॉ बोर्ड की आपत्तिआल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मुस्लिमों के बीच प्रचलित इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं क्योंकि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे के बाहर के हैं। बोर्ड ने यह भी कहा था कि पवित्र कुरान और इस पर आधारित स्रेतों पर मूल रूप से स्थापित मुस्लिम विधि की वैधता संविधान के कुछ खास प्रावधानों पर जांचे नहीं जा सकते।
• इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह मुस्लिमों में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की परंपराओं के कानूनी पहलुओं से जुड़े मुद्दों पर फैसला सुनाएगी और इस सवाल पर विचार नहीं करेगी कि मुस्लिम विधि के तहत तलाक की अदालतों द्वारा निगरानी की जरूरत है या नहीं क्योंकि यह विधायी क्षेत्राधिकार में आता है।
• क्या है हलाला : अगर कोई तलाकशुदा महिला अपने पूर्व पति से पुन: शादी करना चाहे तो वह तभी मुमकिन है जब वह किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर चुकी हो और दूसरा पति भी उसे तलाक दे चुका हो या वह मर चुका हो। इसी के साथ वह इसकी इद्दत पूरी कर चुकी हो। (तलाक की सूरत में तीन माह 10 दिन और मरने की सूरत में चार माह 10 दिन) तो पूर्व पति से फिर से निकाह जायज होगा।
• बहु विवाह : अगर पति एक से ज्यादा शादी करना चाहे तो वह अपनी मौजूदा पत्नी से इजाजत ले ले और ऐसे व्यक्ति की आमदनी और जायदाद या संपत्ति (चल अचल) इतनी हो कि वह सभी पत्नियों को अच्छी जिंदगी देने में सक्षम हो। इसके अलावा उसे सभी से बराबरी का बर्ताव और इंसाफ करना लाजमी होगा। ऐसी सूरत में व्यक्ति एक साथ चार पत्नियां रख सकता है।
• तीन तलाक : एक जगह पर पत्नी को तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कह देने से या लिख कर भेजे जाने से तलाक तो हो जाता है लेकिन यह इस्लाम के सिर्फ हनफी मसलक (स्कूल ऑफ थॉट) में ही मान्य है। जबकि दूसरे कई मसलकों (स्कूल ऑफ थॉट्स) में एक ही बार या एक जगह कितनी बार भी तलाक-तलाक कहा जाए उसे सिर्फ एक बार दी गई तलाक माना जाता है। जिससे तलाक मुकम्मल नहीं होता।
• तलाक का तरीका : इस्लाम में तलाक का तरीका यह है कि अगर तलाक देने के बाद तीन माह तक पति का तलाक देने का इरादा नहीं बदलता तभी तलाक मान्य होगा। अगर इस बीच पति-पत्नी में जिंदगी साथ गुजारने की रजामंदी हो जाती है तो तलाक नहीं माना जाएगा।
• इस्लाम में तलाक बदतरीन चीज : इस्लाम में तलाक को सर्वाधिक बदतरीन चीज माना गया है। क्योंकि निकाह इस्लाम में पति-पत्नी के बीच एक कांट्रेक्ट है। अगर दोनों किसी कारणवश अपने इस कांट्रेक्ट को कायम रखने में सहज नहीं रह पाते और किसी भी सूरत में दोनों साथ जिंदगी नहीं गुजार सकते तो समस्या के अंतिम हल के तौर पर तलाक को जायज माना गया है।
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