निचले तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और पर्यटकों को सुनामी की निम्नांकित संकेत प्रणालियों से परिचित होना चाहिएः
1. तटीय क्षेत्रों को बड़े परिमाण के भूकंप के झटके को संभावित सुनामी की चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। यदि भूकंप सीधे समुद्र के अंदर या उसके निकटवर्ती इलाकों में आया है, तब सुनामी के उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है।
2. रिक्टर स्केल में 7.2 या अधिक शक्ति का भूकंप आने पर सुनामी पैदा होती है। सभी बड़े भूकंप सुनामी पैदा नहीं करते। केवल भूकंप आना ही सुनामी पैदा करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं होता। क्योंकि भूकंप आने से सुनामी का खतरा रहता है, इसलिए भूकंप आने का संकेत मिलने पर तटीय क्षेत्र छोड़ देना ही उचित है।
3. तटीय जल का तीव्र गति से ऊपर या नीचे गिरना सुनामी का संकेत हो सकता है।
4. स्थानीय जनता तक उपर्युक्त सूचनाओं को स्थानीय सार्वजनिक चेतावनी प्रणालियों से पहुंचाने के लिए उचित क्रियाविधि होनी चाहिए। सुनामी के संकेत मिलते ही प्रभावित क्षेत्रों को खाली करने के लिए मार्गों का पहले से ही निर्माण करना चाहिए।
5. लोगों को उन मार्गों से अच्छी तरह परिचित हो जाना चाहिए ताकि सुनामी के दौरान रात में असामान्य मौसम वाली परिस्थितियों में भी वे उस मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सामान्य दिनों में भी नियमित रूप से अभ्यास सत्रों का आयोजन किया जाना चाहिए।
6. सभी प्रमुख जगहों पर सुरक्षित जगहों की तरफ जाने के लिए दिशा निर्देश सहित सूचना पट्ट (साइनबोर्ड) लगे होने चाहिए।
7. संभावित सुनामी क्षेत्रों में भूमि इस्तेमाल की नियमित अंतराल पर समीक्षा की जानी चाहिए। आपातकालीन सुविधाएँ जैसे अस्पताल, पुलिस स्टेशन, ईंधन संग्राहक और विद्युत केंद्र या सभागारों और विद्यालायों जैसी इमारतें सुरक्षित स्थानों पर ही बनाई जानी चाहिए।
पर्यटकों को सुनामी चेतावनी तथा निष्क्रमण के बारे में पहले से सचेत करना चाहिए।
स्थानीय समाचारपत्रों, दूरदर्शन एवं रेडियों केंद्रों को सुनामी के बारे में नियमित रूप से सार्वजनिक सूचना देते रहना चाहिए।
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