• बिजली की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार बुधवार को एक अहम घोषणा कर सकती है। इसके तहत कई वजहों से लंबित तकरीबन दो दर्जन बिजली परियोजनाओं को मेगा पावर प्रोजेक्ट का दर्जा मिलने की संभावना है। इससे देश में 30 हजार मेगावॉट बिजली उत्पादन सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके लिए सरकार मेगा पावर नीति 2017 लाने जा रही है।
• इस नीति से जुड़े प्रस्ताव पर कैबिनेट में चर्चा होने की उम्मीद है। इससे न केवल सस्ती बिजली मिलने का रास्ता साफ होगा, बल्कि बिजली क्षेत्र में बैंकों के बकाया फंसे कर्जे (एनपीए) की स्थिति को सुधारने में भी मदद मिलेगी।
• सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2009 में लागू मेगा पावर पॉलिसी की जगह सरकार नई नीति लाना चाहती है। नई नीति बैंकों के कर्ज व अन्य तकनीकी दिक्कतों से जूझते कई थर्मल पावर प्लांटों से बिजली का उत्पादन सुनिश्चित कर सकेगी। देश में करीब 30,000 मेगावॉट की ताप बिजली परियोजनाएं किसी न किसी वजह से लंबित हैं। इनमें 11,000 मेगावॉट क्षमता की परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं।
• करीब 20 हजार मेगावॉट की ऐसी परियोजनाएं हैं, जो आधी-अधूरी हैं। इन्हें बैंकों से कर्ज भी नहीं मिल पा रहा है। नई पॉलिसी में इन परियोजनाओं ने जितने फीसद बिजली की बिक्री के लिए खरीदारों के साथ समझौता किया होगा, उसके मुताबिक उन्हें बैंक गारंटी देने की व्यवस्था होगी।
• अब नई नीति इन्हें नए सिरे से कर्ज दिलाने की राह आसान कर देगी। साथ ही इन पर बकाया 1.5 लाख करोड़ रुपये कर्ज की वसूली भी संभव हो सकेगी।
• यह नीति दो दर्जन बिजली परियोजनाओं को सरकार की तरफ से 10,000 करोड़ रुपये का फायदा देने का रास्ता भी साफ करेगी। सूत्रों का कहना है कि वित्तीय बोझ कम होने की वजह से इन परियोजनाओं में बनने वाली बिजली की लागत भी घटेगी। इसका लाभ आम जनता को सस्ती बिजली के रूप में मिलेगा।
• मौजूदा नीति के तहत 1,000 मेगावॉट की ताप बिजली परियोजनाओं को मेगा पावर प्रोजेक्ट माना जाता है। पूर्व संप्रग सरकार की कई गलतियों की वजह से 24 प्रोजेक्टों का कामकाज ठप है। इन्हें कई तरह के शुल्कों में छूट देने के बावजूद बिजली खरीद समझौता नहीं होने की वजह से इनका भविष्य अंधकार में था। अब इन परियोजनाओं के दिन फिर बहुरेंगे।
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