• अघोषित नकदी पर नोटबंदी से चोट करने के बाद मोदी सरकार भ्रष्टाचार और काले धन को खत्म करने के लिए आगे भी कदम उठा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इसका संकेत देते हुए कहा कि काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को हमें आगे बढ़ाना है। उन्होंने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लोगों से नकदी का इस्तेमाल कम करने और डिजिटल लेन-देन बढ़ाने का आग्रह भी किया।
• ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से देशवासियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि सवा सौ करोड़ देशवासी चाहें तो छह महीने में ढाई हजार करोड़ डिजिटल लेन-देन कर सकते हैं। पीएम ने लोगों से स्कूल फीस, रेल टिकट, विमान टिकट, दवा और अनाज खरीदने के लिए डिजिटल लेन-देन का आग्रह किया। उन्होंने आम लोगों से कहा कि वे रोजमर्रा की जिंदगी में डिजिटल लेन-देन कर देश की बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं।
• डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे अभियान की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि केंद्र ने 100 डिजिधन मेला आयोजित करने का लक्ष्य रखा था। इनमें से अब तक 80-85 हो चुके हैं। इसके तहत अब तक करीब साढ़े बारह लाख उपभोक्ताओं और 70 हजार व्यापारियों ने इनाम जीता है। डिजिधन मेले का समापन 14 अप्रैल को बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर होगा। प्रधानमंत्री ने शादी-ब्याह और त्योहारों में खानपान की बर्बादी को लेकर भी आगाह किया।
• मोदी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस पर पड़ोसी देश को शुभकामनाएं भी दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 26 मार्च को बांग्लादेश का स्वतंत्रता का दिवस है। बांग्लादेश एक मित्र है और हम इस पूरे क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विकास में अपना योगदान देते रहेंगे। मोदी ने भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान की रचना करने वाले रविंद्रनाथ टैगोर को याद करते हुए कहा कि हमें इस पर गर्व है कि दोनों देशों की साझा विरासत है।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाज से अवसाद के प्रति नजरिया बदलने की अपील की है। रविवार को अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मोदी ने कहा कि हमें अवसाद पीड़ित लोगों का हौसला बढ़ाना होगा, ताकि वे खुलकर अपनी बात कह सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अवसाद से गुजर रहे लोग अपना अनुभव किसी से साझा नहीं करते, क्योंकि उनको इसमें शर्मिदगी महसूस होती है। इससे उनकी रचनात्मकता कम होती है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसाद कोई लाइलाज रोग नहीं है। यदि अनुकूल वातावरण मिले तो इससे बाहर आया जा सकता है।
• बातचीत की अहमियत पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि अवसाद को दबाकर रखना कभी अछा नहीं होता है। इसके बदले विचारों को अभिव्यक्त कर देना हमेशा अछा रहता है। यदि आप अवसाद से गुजर रहे हैं तो अपने भाव दूसरों के सामने प्रकट कीजिए। इससे बेहतर महसूस करेंगे।
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