क्षयरोग (टीबी) से होने वाली मौतों को शून्य के स्तर तक लाने और जनसंख्या के लिए सस्ते और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने इस बीमारी से निपटने के लिए नई पहल की है।
स्वास्थ्य मंत्री ने घोषणा की है कि राष्ट्रीय रणनीतिक कार्यक्रम (एनएसपी) को एक माह में अंतिम रूप दिया जाएगा और इसे पूरे देश में शुरू किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि संसाधन बाधा नहीं होंगे और सरकार सभी हितधारकों के साथ शॉर्ट टर्म और दीर्घकालिक दृष्टिकोण तैयार करने के लिए काम करना जारी रखेगी।
विश्व टीबी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, लोगों को किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। हम इस बात को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि टीबी से किसी भी व्यक्ति की मौत ना हो। इसलिए वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए हम लोगों को नये सिरे से आक्रामक रणनीति बनाने और नये सिरे से सोचने की जरूरत है।
क्षयरोग के बढ़ रहे प्रभाव के सम्बन्ध में प्रमुख तथ्य:
टीबी भारत में खतरा बनती जा रही है। पूरे देश में हर साल 5 लाख लोग टीबी के कारण दम तोड़ते हैं और भारत में पूरी दुनिया के एक चौथाई टीबी मरीज हैं। आखिर क्या कारण हैं कि पूरी तरह ठीक करने वाला इलाज होते हुए भी देश में हर साल इतने लोग इस बीमारी से जान गंवा रहे हैं। ये आंकड़ा हर देशवासी के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि टीबी किसी को भी हो सकता है।
भारत टीबी का सबसे बड़ा शिकार है और दुनिया के 25 फीसदी मरीज भारत में हैं। भारत में हर साल टीबी से 5 लाख लोगों की मौत होती है। शहरों में टीबी से ज्यादा लोग शिकार होते हैं, जबकि गांवों में इसका इलाज लंबा खिंच जाता है।
डब्ल्यू एचओ की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में टीबी के 28 लाख नए मामले सामने आए और टीबी से मरने वाले मरीजों की संख्या 2015 में 478,000 तथा 2014 में 483,000 रही।
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया की 27 फीसदी टीबी के मामले भारत में हैं. देश में यह सबसे घातक संक्रामक रोग तेजी से फैल रहा है। "भारत में टीबी अनुमान की तुलना में कही अधिक बड़ी महामारी है. यह निगरानी और सर्वेक्षण के नए आंकड़ों से पता चला है।"
बीमारी के कारण एवं लक्षण:
टीबी बैक्टीरिया से होने वाला इंफेक्शन है और ये हवा के जरिए फैलता है। टीबी से फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लीवर, किडनी और गले में भी टीबी होता है। खांसने और छींकने से ये रोग फैलता है। टीबी फेफड़ों को खराब कर देता है।
लगातार 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी आ रही तो ये टीबी का लक्षण हो सकता है। खांसी के साथ लगातार बलगम आना, वजन कम होना, कम भूख लगना, शाम और रात के समय बुखार आना और सांस लेने पर सीने में दर्द होना टीबी के लक्षण हैं। हालांकि कई बार टीबी के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं।
कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को टीबी होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है. इसके साथ ही बीड़ी, सिगरेट पीने, सीलन वाली जगह पर रहने वालों और डायबिटीज के मरीजों को भी टीबी होने का खतरा ज्यादा होता है। स्टेरॉयड लेने वालों को भी टीबी हो सकती है।
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