केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन संरचना (एनएफएमई) को 2016-2030 को वर्ष 2016 के फरवरी महीने में लांच किया था, जो 2030 तक इस बीमारी के उन्मूलन के लिए भारत की रणनीति को रेखांकित करती है।
इस संरचना का विकास देश से मलेरिया के उन्मूलन के विजन तथा बेहतर स्वास्थ्य एवं जीवन स्तर तथा गरीबी उन्मूलन की दिशा में योगदान देने के लिए किया गया है। एनएफएमई दस्तावेज स्पष्ट रूप से लक्ष्यों, उद्देश्यों, रणनीतियों, टारगेट एवं समय सीमा को निर्दिष्ट करता है तथा यह चरणबद्ध तरीके से देश में मलेरिया उन्मूलन की योजना बनाने के लिए एक रोडमैप की तरह काम करेगा।
संबंधित महामारी की स्थिति के अनुरूप प्रत्येक राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश में रणनीतियों एवं योजनाएं शुरू करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस बीमारी द्वारा पेश की जाने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती को देखते हुए 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय संरचना का निर्माण एक ऐतिहासिक कदम है।
प्रमुख तथ्य:
इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के न्यूनतम या मध्यम खतरे वाले राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्रों से मलेरिया को 2022 तक समाप्त करना और 2024 तक देश के हर हिस्से में मलेरिया संक्रमण को प्रत्येक 1,000 व्यक्ति पर एक के आंकड़े तक लाना है।
जिन क्षेत्रों से मलेरिया उन्मूलन कर दिया गया हो उन क्षेत्रों में मलेरिया संक्रमण को दोबारा फैलने से रोकना और 2030 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाना इस कार्यक्रम का अगला उद्देश्य होगा।
दक्षिण पूर्व एशिया में कुल मलेरिया रोगियों में भारत का हिस्सा 70 प्रतिशत है, जबकि मलेरिया के कारण भारत में मरने वाले लोगों का प्रतिशत क्षेत्र का 69 प्रतिशत है।
मौजूदा समय में मलेरिया संक्रमण के खतरे की सर्वाधिक जद में आने वाली 20 प्रतिशत आबादी से ही कुल मलेरिया रोगियों का 80 प्रतिशत हिस्सा होता है। हालांकि मलेरिया संक्रमण के सामान्य खतरे की जद में देश की 82 प्रतिशत आबादी आती है।
इस संरचना का विकास देश से मलेरिया उन्मूलन के विजन तथा बेहतर स्वास्थ्य एवं जीवन स्तर तथा गरीबी उन्मूलन की दिशा में योगदान देने के लिए किया गया है।
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