जागरूकता की महत्ता को कभी अधिक नहीं आंका जा सकता। किसी भी सक्रिय व्यवस्था के लिए जागरुकता अभियान आवश्यक हिस्सा है।
एक स्कूली छात्रा टिली स्मिथ ने दस वर्ष की उम्र में स्कूल में पढ़ी हुई जानकारी के आधार पर 26 दिसंबर 2004 को सौ से अधिक लोगों की जान बचाई थी। सुनामी आने के दौरान टिली अपने परिवार के साथ थाईलैंड के फुकेट के समुद्री तट पर छुट्टी मना रही थी। जब टिली ने समुद्र का जल तट से पीछे हटते देखा तब उसे याद आया कि यह सुनामी का अग्रिम संकेत हो सकता है। उसकी चेतावनी के कारण सुनामी तरंगों के आने के कुछ ही मिनट पूर्व वहां का तट खाली कर दिया गया। आमतौर पर समुद्री तट में छुट्टी मनाने वाले पर्यटक तट से पानी पीछे हटने के असली कारण से अनजान रहते हैं। इसी कारण पर्यटक पानी से बाहर आए हुए समुद्र तल को छानबीन करने के लिए प्रलोभित होकर समुद्र के अंदर दूर चले जाते हैं और इसी बीच आने वाली सुनामी तरंगे उन्हें बहा ले जाती हैं। मगर 26 दिसंबर 2004 को फुकेट में मरने वालों की संख्या में काफी कमी इसलिए हुई क्योंकि टिली स्मिथ के पास न केवल जानकारी थी बल्कि जानकारी को सही समय पर इस्तेमाल किया गया।
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