Skip to main content

सुनामी पैदा होने का कारण



सुनामी, हवा या चंद्रमा के गुरुत्वीय आकर्षण से उत्पन्न ज्वार नहीं है। इनकी उत्पत्ति समुद्र तल में अचानक आई विकृति एवं उसमें उत्पन्न ऊपरी जल स्तर में विस्थापन के कारण होती है। समुद्र तल में इसी तरह की विकृति भूकंप के कारण पैदा होती है। भूकंप जल स्तंभ को उत्थान या अवतलन द्वारा छेड़ सकता है। सागर तल का बड़ा हिस्सा जब ऊपर उठता या नीचे बैठता है, तब सुनामी उत्पन्न होती है। प्लेट सीमा पर भूपटल में बड़ी विकृति आ सकती है। उदाहरण के लिए प्रशांत महासागर के किनारों पर अधिक घनत्व वाली समुद्री प्लेट, महाद्वीपीय प्लेट के नीचे खिसकती है, जिसको अवरोहण कहते हैं। सुनामी उत्पन्न करने के लिए अवरोहण भूकंप कुख्यात है। 

सुनामी विशाल जल राशि के विस्थान के कारण उत्पन्न होती है। यह विस्थापन गुरुत्व के प्रभाव से क्षेत्र में साम्यावस्था लाने के लिए प्रयासरत रहता है। सुनामी लहरों की ऊंचाई समुद्र तल में आई विकृति के परिमाण पर निर्भर करती है। जल राशि का विस्थापन जितना खड़ा होगा सुनामी लहरों की ऊंचाई भी उतनी ही अधिक होती है।

भूकंप से मुक्त हुई ऊर्जा समुद्र के पानी को सामान्य स्तर से ऊपर उठाकर स्थितिज ऊर्जा में बदल कर समुद्र के पानी में ही समाहित हो जाती है। यह स्थितिज ऊर्जा सुनामी तरंगों के उत्पन्न होने से गतिज ऊर्जा में बदल जाती है और ये ही ऊर्जा इन तरंगों को आगे प्रसारित करती हैं एवं भयंकर सुनामी तरंगों में तब्दील करते हैं।

सुनामी की उत्पत्ति के लिए भूकंप ही एकमात्र कारण नहीं है। कोई भी विक्षोभ जो जल की विपुल मात्रा को अपनी साम्यावस्था से विस्थापित करने की क्षमता रखता है, सुनामी का कारण बन सकता है। भूकंप या ज्वालामुखी के दब जाने के कारण अंतःसमुद्री भूस्खलन, ऊपरी जल स्तंभ में हलचल पैदा कर सुनामी का कारण बनते हैं। अंतःसमुद्री ज्वालामुखी विस्फोट की प्रचंड ऊर्जा भी जल स्तंभ को ऊपर उठा कर सुनामी उत्पन्न कर सकती है।

सामान्यतः सुनामी जो प्लेट सीमा में अचानक आई विकृति के कारण पैदा नहीं होती है, वह शीघ्र ही गायब हो जाती है। ऐसी सुनामी उत्पत्ति स्थल से तट तक बिरले ही पहुँचती है। मगर यह बहुत विशाल स्थानीय प्रघाती तरंगों को उत्पन्न कर सकती है। उदाहरण के लिए 10 जुलाई 1958 को लिटूया खाड़ी (अलास्का, अमेरिका) के शीर्ष स्थल किलन इन्लेट पर भूस्खलन होने से बहुत ही विशाल सुनामी उत्पन्न हुई थी, जिसने संपूर्ण घाटी को अपने घेरे में ले लिया था। खुले समुद्र से तट तक पहुंचते-पहुंचते इनकी गति तेजी से कम हो गई थी।

*******

Comments

Popular posts from this blog

Developing proper feedback mechanisms can help take right decisions: PM

भारत के संविधान की मूल प्रति

1950 :: भारत के संविधान की मूल प्रति में  अर्जुन को  भगवद्गीता का ज्ञान देते हुए  भगवान कृष्ण की छवि ।। ।। राम राम ।।

जर्मनी की चांसलर ने राष्‍ट्रपति से मुलाकात की

जर्मनी की चांसलर डॉ. एंजेला मर्केल ने आज (01 नवम्‍बर ,  2019) राष्‍ट्रपति भवन में राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। भारत में जर्मनी की चांसलर का स्‍वागत करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि जर्मनी और भारत के बीच मजबूत वाणिज्यिक संबंध हैं और यूरोपीय संघ और भारत के बीच एक व्‍यापक व्‍यापार एवं निवेश के क्षेत्र में संतुलित समझौते को जल्‍द लागू करने के लिए यूरोपीय संघ के भीतर प्रयासों में तेजी लाने में जर्मनी के समर्थन को भारत महत्‍वपूर्ण मानता है। इससे दोनों पक्षों के व्‍यापारिक समुदाय को न केवल मजबूत और सकारात्‍मक संकेत मिलेगा ,  बल्कि भारत एवं जर्मनी के बीच व्‍यापार एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा। राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच वैश्विक साझेदारी में अच्‍छी प्रगति हो रही है। बहुपक्षीय और बहुध्रुवीय व्‍यवस्‍था को मजबूत करने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। भारत और जर्मनी पुनर्गठित संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता के लिए अधिकृत दावेदार हैं। इसके संदर्भ में ,  जी-4 के हिस्‍से के रूप में हमारा सहयोग महत्‍वपूर्ण है। राष्‍ट्रपति

ads1