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सप्तर्षियों का मंडल


वशिष्ठकाश्यपो यात्रिर्जमदग्निस्सगौत। 
विश्वामित्रभारद्वजौ सप्त सप्तर्षयोभवन्।। 

आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें
 सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। 


वैवस्वत मनु के काल के सप्तऋषियों का परिचय यहाँ प्रस्तुत है -

आकाश में सात तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें
 सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है। 

1- कश्यप, 
2- अत्रि, 
3- वशिष्ठ, 
4- विश्वामित्र, 
5- गौतम, 
6- जमदग्नि,
7- भारद्वाज 

 जिसका वर्णन खास तौर पर वेदों और अन्य धार्मिक ग्रन्थों में मिलता है। 

इनमे से कुछ ऋषि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं ।

ईश्वर के निर्देशानुसार सप्तऋषि पृथ्वी पर अच्छे और बुरे का संतुलन बनाए रखते हैं। 

सप्तऋषि मानव कल्याण के लिए कार्य करते हैं।

 सप्तर्षियों को उनके महान कार्यों के वजह से उन्हें सौरमंडल में भी स्थान दिया गया है। 

ऋषि_पंचमी के दिन सप्त ऋषियों का पूजन का विशेष महत्व है । 


सप्त ऋषि मंडल उत्तर दिशा में दिखाई देता है। 

पुराने समय में जब दिशा दिखाने वाले यंत्र की खोज नहीं हुई थी तब समुद्र यात्रा के लिए रात में ध्रुव तारा और सप्तऋषि तारामंडल को देखकर दिशा का ज्ञान होता था।

 हरिद्वार के भूपतवाला गांव में मंदिर है जो कि सप्तर्षियों को समर्पित है। 

सप्तऋषि मण्डल ध्रुव तारे के चारों ओर 24 घण्टे में एक चक्कर पूरा करता है।

 इस मण्डल के प्रथम दो तारे सदैव ध्रुव तारे की सीध में ही दिखाई देते हैं। 

#सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है 


।। राम राम ।।

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