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अनुच्छेद 370?

अनुच्छेद 370 क्या है अनुच्छेद 370 क्या आप में से कोई जानता है आइए बताते हैं अनुच्छेद 370 है क्या,

भारत की स्वतंत्रता के बाद जम्मू कश्मीर पर ब्रिटिश प्रभुत्व सत्ता भी समाप्त हो गई थी इसके बाद आरंभिक दौर में यानी शुरुआती दौर में जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत या पाकिस्तान में विलय करने की वजह स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया था

हालांकि अक्टूबर 1947 में या पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्थित प्राप्त बलों ने कश्मीर पर आक्रमण किया और इस असाधारण राजनीतिक परिस्थिति में हरि सिंह ने भारत में जम्मू कश्मीर का विलय करने का निर्णय किया

महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का विलय भारत में करने का निर्णय लिया 26 अक्टूबर 1947 को हरी सिंह पंडित नेहरू के मध्य विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

विलय पत्र के अंतर्गत सांसद को केवल रक्षा विदेश मामले और संचार के विषयों में ही जम्मू-कश्मीर के लिए कानून बनाने की शक्ति दी गई थी इसी अवसर पर भारत का भारत सरकार द्वारा घोषणा की गई कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनकी अपनी संविधान सभा के माध्यम से राज्य का आंतरिक संविधान तथा राज्य के संदर्भ में भारतीय संघ के क्षेत्राधिकार के विस्तार की सीमा निर्धारित करने का अधिकार होगा लेकिन यह सारी व्यवस्थाएं  अस्थाई रूप से थी यह सारी व्यवस्थाएं टेंपरेरी रूप से बनाई गई थी इस व्यवस्था को या इस घोषणा को मूर्त रूप प्रदान करते हुए 17 अक्टूबर 1949 को संविधान सभा द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिए अस्थाई प्रावधान के रूप में अनुच्छेद 370 संविधान में शामिल किया गया इसे संविधान के भाग 21 अस्थाई संक्रमण कालीन और विशेष उपबंध के अंतर्गत रखा गया अनुच्छेद 370 के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार है

अनुच्छेद एक और अनुच्छेद 370 के अतिरिक्त भारतीय संविधान का कोई भी उपबंध जम्मू और कश्मीर राज्य पर सीधे लागू नहीं होता है।

राज्य के लिए संसद की विधि निर्माण शक्ति केवल संघ सूची समवर्ती सूची के उन मामलों तक सीमित है जिनका उल्लेख राज्य के विलय पत्र में है तथा राज्य सरकार के परामर्श के पश्चात राष्ट्रपति द्वारा इन्हें घोषित किया गया है

इसके अतिरिक्त सांसद राज्य के संदर्भ में संघ सूची समवर्ती सूची के उन विषयों पर भी कानून बना सकती है जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति राज्य सरकार की सहमति से उल्लिखित करें

इन सभी नियमों के अलावा राष्ट्रपति राज्य सरकार की सहमति एवं कुछ अपराधों और परिवर्तनों के पश्चात संविधान के अन्य बंधुओं को भी राज्य में लागू कर सकेगा या कर सकेंगे

इस प्रकार 370 के माध्यम से जम्मू और कश्मीर को भारत की संघात्मक व्यवस्था में एक विशेष दर्जा प्राप्त होता है जम्मू और कश्मीर अपना संविधान ध्वज था

राज्य का नाम व इसकी सीमाएं राज्य विधानसभा की सहमति के अभाव में नहीं बदली जा सकती अन्य राज्यों की 5 वर्षीय विधानसभा के विपरीत जम्मू और कश्मीर राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है इसके अतिरिक्त कई अन्य ऐसे विधि व प्रशासनिक विशेषताएं हैं जो जम्मू और कश्मीर की परिस्थितियों को शेष भारत की तुलना में अलग बनाती हैं और यहीं से 370 के निदर्शन की मांग प्रबल होती है इसलिए इसे हटाए जाने की मांग की गई और इसे हटा दिया गया

370 एक अस्थाई प्रावधान था जो उस समय के बाद इसे समाप्त कर देना था लेकिन भारत की राजनीति ने कभी से समाप्त नहीं किया राजनेताओं ने इसका भरपूर फायदा उठाया और देश विरोधी घटनाओं को वहां पनपने का मौका दिया 370 इकलौता ऐसा कानून था जिसके द्वारा जम्मू और कश्मीर के लोगों को भड़काया जाता और भारत के विरोध में भारत के विरोधी गतिविधियां वहां चलाई जाती थी जिस पर वहां की रात सरकार कोई भी कार्यवाही नहीं करती थी

अनुच्छेद 370 होने की वजह से वहां पर किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार को पता कर पाना बड़ा मुश्किल था और वहां पर कोई भी कार्रवाई भ्रष्टाचारियों के ऊपर नहीं होती थी कुछ लोग ही पूरे सिस्टम को चलाते और उस पर अपना एक अधिकार बनाकर रखते थे जिससे वहां के आम नागरिकों को बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हुई और लोगों को जीवन में जो देश के और हिस्सों में जो परिवर्तन हुए विकास हुए या आधुनिक रूप से विकास हुए वह जम्मू कश्मीर में उस तेजी से नहीं हो पाए जितना और अन्य राज्यों में तेजी से विकास हुए

370 हट जाना एक अच्छा कदम है क्योंकि इससे देश के सभी राज्य आपस में एक दूसरे से समान रूप से जुड़े हुए हैं सभी लोग एक दूसरे जगहों पर समान रूप से स्वतंत्र है और सभी अधिकार सभी नागरिकों को मिल गए हैं बहुत सारे कानून भी 370 की वजह से जम्मू कश्मीर में लागू नहीं थे लेकिन अब इसके समाप्त होने के बाद पूरे जम्मू कश्मीर के साथ पूरे भारत भर में भारत का संविधान समान रूप से लागू है एक देश एक झंडा एक संविधान और एक ही कानून सभी नागरिकों के लिए यह अब संभव हो सका है इसलिए यह सरकार का एक अच्छा कदम है

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