बहुत दिनों से चर्चा में था कि सोशल मीडिया को आधार से लिंक कर दिया जाए यानी कि जोड़ दिया जाए जो आज उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है इस मांग को उच्चतम न्यायालय ने आज एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग अकाउंट को आधार से जोड़ने की मांग खारिज कर दिया है ।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इस मामले पर मद्रास हाई कोर्ट पहले ही सुनवाई कर रहा है ऐसे में दखल की कोई जरूरत नहीं है ।
इस पीआईएल दायर करने वाले लोग इस बात को ध्यान नहीं देते हैं कि कहीं पर यदि किसी चीज की सुनवाई चल रही है इतने दिन तक सब्र करने तुरंत के ऊपर और भी ज्यादा फाइलों का बढ़ाना कहां जाया जाए यदि एक जगह सुनवाई चल रही है तो सबको इस बात को ध्यान देना चाहिए कि एक सुनवाई पूरी होने के बाद फिर सुप्रीम कोर्ट में आकर इसकी याचिका दायर करें लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने यह तय कर दिया है कि अब इसकी सुनवाई जब तक वहां नहीं हो जाएगी तब तक यहां नहीं होगी उन्होंने खारिज कर दिया है कि आधार से लिंक किया जाए सोशल मीडिया अकाउंट ।
सबसे बड़ी बात है यदि सोशल मीडिया अकाउंट से लिंक कर दिया जाएगा तो आधार को सुरक्षित कैसे रखें इस बात की जानकारी कैसे मिलेगी तो यही है कि लोगों के डाटा को सुरक्षित रख पाएंगे यदि नहीं तो सरकार को इस बारे में पहले यह नियम और कानून बनाने पड़ेंगे कि यह एजेंसियां कैसे इन पूरे डाटा को सुरक्षित रखेंगे उसके बाद ही सोशल नेटवर्किंग साइटों को आधार से लिंक किए जाने की बात होनी चाहिए लेकिन इसमें कोर्ट सुनवाई कर रहा है इसलिए हम सब को उम्मीद है कि इसमें जल्दी इस तरह के बहुत सारे फैसले आएंगे जो कई सारे बदलाव भी हो सकता है करने पड़े जो एक अच्छा कदम होगा हमारे देश का जो डिजिटल पूरा सिस्टम है उसमें अभी इंटरनेट से जुड़े बहुत सारे मामलों में कानूनों की कमी है ।
इसके साथ ही सरकार को इन सभी मुद्दों पर ध्यान देना होगा जिससे सभी व्यक्ति के डाटा सुरक्षित रह सके क्योंकि इससे पहले फेसबुक के कई बार डाटा लीक हो चुके हैं गायब हो चुके हैं किए जा चुके हैं इसलिए यह सारी चीजें ध्यान देना बहुत जरूरी है लोगों की निजता के आधार पर यानी ताकि लोगों की प्राइवेसी की सुरक्षा करना भी गवर्नमेंट का दायित्व है हालांकि इसमें एक अच्छा फैसला आने की उम्मीद है की कोर्ट में कोई ना कोई गाइडलाइन जरूर जारी करेगा जिससे आगे यह बहुत अच्छे तरीके से चल सके।
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