भगवान गणेश जी शिवजी और पार्वती जी के पुत्र है।
इनका वाहन सिंह नामक एक मूषक है गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है यानी भगवान गणेश को गणपति भी कहते हैं ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संचार के साधन है उनके स्वामी श्री गणेश जी हैं इनका हाथी जैसा सिर्फ होने की वजह से इन्हें गजानन भी कहते हैं यह गणेश जी का एक दूसरा नाम है गजानन।
गणेश जी का नाम हिंदू शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य के लिए पहले पूज्य है इसलिए इन्हें प्रथम पूज्य भी कहते हैं गणेश जी की उपासना करने वाला संप्रदाय गणपत कहलाता है।
गणेश जी के अनेक नाम है लेकिन उनके बारे नाम प्रमुख हैं
पहला सुमुख
दूसरा एकदंत
तीसरा कपिल
चौथा गज कडक
पांचवा लंबोदर
छठवां विकट
सातवां विंध्य नाश
आठवां विनायक
नवा धूम्रकेतु
दसवां गणाअध्यक्ष
11 भालचंद्र
12 गजानन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी को केतु के रूप में जाना जाता है कि तू एक छाया ग्रह है जो राहुल नामक छाया ग्रह के हमेशा विरोध में रहता है बिना विरोध के ज्ञान नहीं आता है और बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं है गणेश जी को मानने वालों को का मुख्य प्रयोजन उनको सर्वत्र देखना है गणेश जी अगर साधन है तो संसार के प्रत्येक कण में वह विद्वान है
उदाहरण के लिए तो जो साधन है वही गणेश हैं जीवन को चलाने के लिए अनाज की आवश्यकता होती है जीवन को चलाने का सादा अनाज है तो अनाज गणेश है अनाज को पैदा करने के लिए किसान की आवश्यकता होती है तो किसान गणेश है किसान को अनाज होने और निकालने के लिए बैलों की आवश्यकता होती है तो बैल भी गणेश है अनाज होने के लिए खेत की आवश्यकता होती है तो खेत गणेश है अनाज को रखने के लिए भंडारण स्थान की आवश्यकता होती है तो भंडारण का स्थान भी गणेश है अनाज के घर में आने के बाद उसे पीसकर चक्की की आवश्यकता होती है तो चक्की भी गणेश है चक्की से निकाल कर रोटी बनाने के लिए तबीयत चिमटे और रोटी बनाने वाले की आवश्यकता होती है तो यह सभी गणेश हैं खाने के लिए हाथों की आवश्यकता होती है तो हाथ भी गणेश है मुख्य में खाने के लिए दांतो की आवश्यकता होती है तो दांत भी गणेश हैं कहने के लिए जो भी साधन जीवन में प्रयोग किए जाते हैं वे सभी गणेश हैं अकेले शंकर जी पार्वती के पुत्र और देवता ही नहीं।
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