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ब्रिटेन और यूरोप में दिखने लगा ब्रेग्जिट का असर




• ब्रिटेन में ब्रेग्जिट का फैसला हुए कुछ माह बीत चुके हैं और आज भी उस विषय पर पूरा देश बंटा हुआ है। आज भी कई लोग मानते हैं कि जनमतसंग्रह नहीं होना चाहिए था। आज भी कई लोग मानते हैं कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य बने रहना चाहिए। 

• इन सब बातों का एक ही प्रमुख कारण है- बिज़नेस। 
ब्रेग्जिट का फैसला आर्थिक मंदी का सामना करने के लिए था या वित्तीय स्वतंत्रता के लिए। ब्रेग्जिट समर्थक इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा बताते हैं, जबकि इसे गलत ठहराने वाले ब्रिटेन को ईयू का सदस्य बने रहते देखना चाहते हैं। 

• ब्रेग्जिट के असर से कई मल्टीनेशनल कंपनियां ब्रिटेन से कारोबार समेटने लगी हैं। उन्होंने लंदन से मुख्यालय हटाकर यूरोप के दूसरे शहरों में ले जाने की बातें कही हैं। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी प्रशासनिक बदलाव शुरू कर दिए हैं, जिससे मार्च 2019 तक ब्रिटेन पूरी तरह ईयू से अलग हो जाएगा। 

• कुछ कंपनियों ने ब्रिटेन में अपने निवेश का आकलन शुरू कर दिया है। वे अनुमान लगा रही हैं कि ब्रिटेन से कामकाज हटाने के बाद उनके कारोबार पर कितना असर होगा। लेकिन, यह अभी कोई नहीं जानता कि ईयू के अन्य देशों के नागरिक जो ब्रिटेन में काम कर रहे हैं, उनका क्या होगा। 

जानिए ब्रिटिश अर्थव्यवस्था पर ब्रेग्जिट का असर-


• एफटीएसई(फाइनेंशियल टाइम्स स्टॉक एक्सचेंज) 100 कंपनियों के इंडेक्स में जनमतसंग्रह के बाद से अब तक 16 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। आमतौर पर शेयर मार्केट में ज्यादा उथल-पुथल नहीं है। 

• डॉलरके मुकाबले पाउंड की कीमत 31 वर्षों में सबसे नीचे है। जनमतसंग्रह के बाद से अब तक पाउंड की कीमत डॉलर के मुकाबले 15 फीसदी नीचे आई है। जापान, चीन और कतर की कंपनियों ने ब्रिटिश कंपनियों का अधिग्रहण शुरू कर दिया है, उस कारण भी पाउंड की कीमत कम हुई है। इससे ब्रिटेन में कारोबार के भविष्य को लेकर अनिश्चितताएं बढ़ी हैं, जिससे आने वाले समय में होने वाली डील को लेकर संशय बढ़ गया है।

• ब्रिटिश अर्थव्यवस्था इन दिनों नकारात्मकता का सामना भी कर रही है, इससे वातावरण में भय जैसी स्थिति है। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता अभी इसलिए है क्योंकि ब्रिटेन ईयू से अलग नहीं हुआ है। जिस दिन पूरी तरह अलग हो जाएगा, तब हालात और ज्यादा खराब हो सकते हैं। बैंकिंग क्षेत्र में स्थान परिवर्तन का दौर शुरू हो चुका है। साइंटिफिक रिसर्च और ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों में भी चिंता का वातावरण है। 

• जनमत संग्रह के पहले चेतावनी दी गई थी कि ब्रेग्जिट से ब्रिटेन में मौजूद वैश्विक कंपनियों के मुनाफे में अंतर साफ दिखाई देगा। कई कंपनियों ने कहा कि वे ईयू से ब्रिटेन के अलग होने की स्थिति में उनका मुनाफा घटने लगा और कहीं-कहीं रोजगार भी कम हुए हैं। 

• जर्मनी की डॉयचे टेलीकॉम और अमेरिका की जनरल मोटर्स ने कहा कि इस वर्ष यूरोप के कारोबार में उनका मुनाफा कम हुआ है। बड़ी रिक्रूटमेंट एजेंसी ने कहा कि नए रोजगारों में कमी आई है। डायसन जैसी कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं, जिन्होंने कहा कि उनका कारोबार ब्रेग्जिट से अप्रभावित है।

• अनिश्चितताके बावजूद ऐसी कई वैश्विक कंपनियां हैं, जिन्होंने ब्रिटेन के कारोबारी वातावरण पर भरोसा जताया है। 

• टोयोटा और निसान जैसी कार कंपनियों ने कहा कि वे ब्रिटेन में निवेश बढ़ाकर नई यूनिटें शुरू करेंगी। 

• वेल्स फार्गो (अमेरिका), डॉयचे बैंक (जर्मनी), क्रेडिट एग्रीहोल (फ्रांस) जैसी कंपनियां लंदन में नए दफ्तर बना रही हैं। 

• स्नैपचेट, गूगल और एपल जैसी आईटी कंपनियां लंदन स्थित नई इमारतों में शिफ्ट हो रही हैं। 

• फ्रांस की ईडीएफ ब्रिटेन में नया परमाणु बिजली घर बना रही है। उस प्रोजेक्ट को सरकार ने मंजूरी दी है। 

• चीन की टैक्सी कंपनी गिली 2400 करोड़ रुपए लगाकर लंदन टैक्सी कंपनी में लगाकर नया प्लांट शुरू कर रही है। 

• कतर भी ब्रिटेन के ट्रांसपोर्ट, आईटी और प्रॉपर्टी क्षेत्र में 600 करोड़ डॉलर 40 हजार करोड़ रुपए लगाएगा।


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