• शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। स्वयं सहायता समूह बनाकर गरीबों को उद्यम शुरू कराने की उत्तर प्रदेश ने कारगर पहल की है। पिछले दो सालों के आंकड़ों में तमिलनाडु को पहला स्थान मिला है, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने गरीबों को कुशल बनाकर रोजगार मुहैया कराने में अच्छा प्रदर्शन किया है।
• दीन दयाल अंत्योदय योजना के तहत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को उत्तर प्रदेश सरकार ने तरजीह दी है। गरीब युवाओं को कौशल विकास के मार्फत कुशल बनाने में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है, जबकि मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर।
• कुशल बनाने के बाद युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए रियायती दरों पर ऋण मुहैया कराया गया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में लगभग दो लाख युवाओं को कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण दिया गया है। जबकि मध्य प्रदेश में सवा लाख युवाओं को प्रशिक्षण देकर कुशल बनाया गया है।
• हालांकि प्रशिक्षित कुशल युवाओं को रियायती ऋण देने में तमिलनाडु पहले स्थान पर है, जबकि मध्य प्रदेश दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे पायदान पर है। उत्तर प्रदेश ने 16 हजार स्वयं सहायता समूह का गठन किया है, जबकि मध्य प्रदेश केवल आठ हजार समूह ही बना पाया है। इसके मुकाबले बिहार में आठ हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह का गठन किया गया है।
• पश्चिम बंगाल ने 64 हजार युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर कुशल बनाया है। शहरी आजीविका मिशन की शुरुआत सितंबर 2016 में की गई थी। इस मिशन का मूल मकसद शहरी गरीब युवाओं को रोजगार परक शिक्षा देकर उनकी गरीबी को दूर करना है।
• हालांकि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की पहली लांचिंग 2013 में देश के 790 शहरों व कस्बों में की गई थी, जिसे बढ़ाकर 4041 शहरों तक कर दिया गया है। 2014 से 2017 तक कुल आठ लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है।
• जबकि 1.35 लाख लाभार्थियों को रियायती ऋण मुहैया कराया गया है। डेढ़ लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। इसे और विस्तार दिया जायेगा।
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