Skip to main content

मौलिक अधिकार नहीं है शराब का कारोबार




• शराब का कारोबार करना मौलिक अधिकार नहीं है। रोजगार की आजादी का अधिकार शराब के कारोबार पर लागू नहीं होता है, क्योंकि यह संवैधानिक सिद्धांत में व्यापार की श्रेणी से बाहर है। इसके अलावा रोजगार का अधिकार जीवन के अधिकार के बाद आता है।

•  हाईवे पर पांच सौ मीटर के दायरे से शराब की दुकानें हटाने के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जीवन और रोजगार के अधिकार की व्याख्या करते हुए यह बात कही है। 

• कोर्ट की इस व्याख्या के गहरे मायने हैं। शराबबंदी को गैरकानूनी और रोजगार की आजादी के खिलाफ कहने वालों के लिए यह कानूनी जवाब हो सकता है। 

• कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय और राय राजमार्गो पर शराब की बिक्री के नुकसानदेह पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण शराब पीकर गाड़ी चलाना है। संवैधानिक मूल्यों में जीवन के अधिकार को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। 

• लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करना जीवन के अधिकार को संरक्षित करने का एक जरिया है। 

• कोर्ट ने जीवन के अधिकार और रोजगार के मौलिक अधिकार के बीच संतुलन बनाने पर जोर दिया। कहा कि एक तरफ लोगों को शराबी वाहन चालकों से बचाने की जरूरत है तो दूसरी ओर शराब कारोबार के व्यापारिक हित हैं। इसमें दूसरा हित पहले के बाद आएगा। 

• यानी पहले जीवन का अधिकार और उसके बाद रोजगार का अधिकार आएगा। कोर्ट ने कहा कि हाईवे से 500 मीटर दूरी तक शराब की दुकानों पर रोक का आदेश देकर हमने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। न ही कानून बनाने का प्रयास किया है। कोर्ट ने लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया है। 

• रोजगार की आजादी का अधिकार शराब के कारोबार पर लागू नहीं होता है। शराब का कारोबार संवैधानिक सिद्धांत में व्यापार की श्रेणी से बाहर है।

• राज्य  सरकार का विशेषअधिकार

• कोर्ट ने कहा कि शराब की दुकान का लाइसेंस देने का राज्य सरकार को विशेष अधिकार दिया गया है। 

• कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि शराब दुकान का लाइसेंस पाना उसका अधिकार है। 

• इसके अलावा शराब की दुकानों का कुछ संस्थाओं से निश्चित दूरी रखना जरूरी है। 

• यह तय करना राज्य सरकार का अधिकार है कि वह नियमों के तहत लाइसेंस देगी कि नहीं। 

*******

Comments

Popular posts from this blog

Developing proper feedback mechanisms can help take right decisions: PM

भारत के संविधान की मूल प्रति

1950 :: भारत के संविधान की मूल प्रति में  अर्जुन को  भगवद्गीता का ज्ञान देते हुए  भगवान कृष्ण की छवि ।। ।। राम राम ।।

जर्मनी की चांसलर ने राष्‍ट्रपति से मुलाकात की

जर्मनी की चांसलर डॉ. एंजेला मर्केल ने आज (01 नवम्‍बर ,  2019) राष्‍ट्रपति भवन में राष्‍ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। भारत में जर्मनी की चांसलर का स्‍वागत करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि जर्मनी और भारत के बीच मजबूत वाणिज्यिक संबंध हैं और यूरोपीय संघ और भारत के बीच एक व्‍यापक व्‍यापार एवं निवेश के क्षेत्र में संतुलित समझौते को जल्‍द लागू करने के लिए यूरोपीय संघ के भीतर प्रयासों में तेजी लाने में जर्मनी के समर्थन को भारत महत्‍वपूर्ण मानता है। इससे दोनों पक्षों के व्‍यापारिक समुदाय को न केवल मजबूत और सकारात्‍मक संकेत मिलेगा ,  बल्कि भारत एवं जर्मनी के बीच व्‍यापार एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा। राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच वैश्विक साझेदारी में अच्‍छी प्रगति हो रही है। बहुपक्षीय और बहुध्रुवीय व्‍यवस्‍था को मजबूत करने के लिए हमें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। भारत और जर्मनी पुनर्गठित संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की स्‍थायी सदस्‍यता के लिए अधिकृत दावेदार हैं। इसके संदर्भ में ,  जी-4 के हिस्‍से के रूप में हमारा सहयोग महत्‍वपूर्ण है। राष्‍ट्रपति

ads1