• स्वैच्छिक अंगदान के मामले में बेशक लाइव डोनर्स की देश में अब भी कमी है। राहत वाली पहल यह है कि जल्द ही ब्रेनडेड व्यक्तियों से दान के रूप में मिले धड़कते दिल समेत शरीर में रक्त संचारित करने वाली हृदय वक्र तंत्रिकाएं, वाल्व, महाधमनी वाल्व, फेफड़े के वाल्व, मैट्रल वाल्व, त्रिकपर्दी वाल्व को संरक्षित करने की सुविधा दिल्ली सरकार के अस्पताल में भी उपलब्ध होगी।
• यहां ‘‘होमोग्राफ्ट वाल्व बैंक’ शुरू होगा।मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से संबद्ध डा. गोविंद बल्लभपंत अस्पताल में आर्गन रिट्रीइवल बैकिंग आर्गनाइजेशन व नोटो की मदद से यहां करीब 5 करोड़ रपए की लागत से अंग पुन:स्थापन केंद्र बनेगा। स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत की पहल के तहत इस महत्वपूर्ण केंद्र के लिए जीबी पंत परिसर में जगह की पहचान की गई है।
• भवन निर्माण के लिए मैपिंग की जिम्मेदारी केंद्रीय स्वास्य मंत्रालय ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की निगरानी में एचएलएल कंपनी को सौंपी है। केंद्रीय स्वास्य सचिव सीके मिश्रा ने ‘‘राष्ट्रीय सहारा’ से कहा कि चूंकि दिल्ली देश की राजधानी है, यहां पर दिल्ली के अलावा देश के सुदूर राज्यों के मरीजों के साथ ही दुनिया के अन्य हिस्सों से मरीज उपचार के लिए आते हैं। इसके मद्देनजर ही दिल्ली सरकार के इस अस्पताल में आर्गन रिट्राइव बैंकिंग की सुविधा शुरू की जा रही है।
• इसे ओरबो और नोटो से सूचीबद्ध किया जाएगा। ओरबो व नोटो ऐसे सरकारी संस्थान है जो मानव अंग को पुन: सुरक्षित स्थापित करने के लिए दिशा निर्देश जारी करते हैं। इन अहम् अंगों को संरक्षित करने के लिए यहां एकेडेमिक ब्लाक के प्रथम तल पर ‘‘होमोग्राफ्ट वाल्व बैंक’ शुरू किया जाएगा। इस बैंक में जरूरी चिकित्सीय उपकरण स्थापित किए गए हैं।
• उम्मीद है कुछ जरूरी कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद यह बैंक मई महीने से काम करने लगेंगे। इस सुविधा के प्रारंभ होने के बाद देश में यह अपने किस्म का पहला वाल्व बैंक होगा। जहां पर जीवनशैली से होने वाली धमनियों में रुकावट व अन्य तरह की विकृतियों, हृदयाघात के दौरान क्षतिग्रस्त होने वाले वाल्व व अन्य हृदय तंत्रिका संबंधी समस्याओं को खत्म किया जाएगा।
• उम्मीद है कि इस सुविधा के बाद हृदय रोगियों को बेवजह महंगे कृत्रिम स्टेंट, वाल्व व एंजियोंप्लास्टी के दौरान प्रयुक्त किए जाने वाले औषध आलेपित स्टेंट के लिए जटिल प्रक्रिया से निजात मिलेगी।
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