सरकार कानून के तहत एक योजना बना रही है जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक को एनपीए के साथ पहले की तुलना में और अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सशक्त बनाया जाएगा।
यह बैंकों के बैड लोन की समस्या को हल करने की विस्तृत योजना का एक हिस्सा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो अर्थव्यवस्था को अपनी पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने से रोक रहा है।
केंद्र इस संबंध में एक अध्यादेश जारी कर सकता है जिसमें आरबीई को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह एनपीए से निपटने के लिए बैंकों को आदेश दे सके। क्योंकि संसद के माध्यम से बैंकिंग विनियमन अधिनियम संशोधन में अभी समय लग सकता है।
पुनर्निर्मित कानून (reworked law) भी भारतीय रिजर्व बैंक को निरीक्षण पैनल स्थापित करने के लिए सक्षम बनाता है, जो एनपीए मामलों की जांच कर रही एजेंसियों की कार्रवाई से बैंकर्स को ढाल प्रदान करेगा।
वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि बीते वित्त वर्ष के दौरान बैड लोन 1 लाख करोड़ से ऊपर बढ़कर 31 दिसंबर 2016 तक 6.07 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंच गया था।
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