• आतंकवाद को मदद देने की वजह से पाकिस्तान पहले ही दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग हो चुका है लेकिन अब वह इस क्षेत्र से आर्थिक तौर पर भी अलग-थलग होता जा रहा है। आज जब सार्क संगठन के भारत समेत छह प्रमुख देशों (बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव) के अलावा म्यांमार ने जब इस पूरे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति का नया रोडमैप बनाया तो उसमें पाकिस्तान का कोई नाम नहीं था।
• इन देशों के वित्त मंत्रियों की सोमवार को हुई दक्षिण एशिया उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (सासेक) की बैठक में म्यांमार को भी शामिल कर दिया लिया गया है। सोमवार को यहां हुई बैठक में इन वित्त मंत्रियों के बीच वर्ष 2025 तक सभी देशों के सकल घरेलू उत्पाद में 70 अरब डॉलर की वृद्धि करने और दो करोड़ लोगों को रोजगार दिलाने का रोडमैप तैयार किया गया है।
• सासेक के वित्त मंत्रियों की बैठक संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत अपनी ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को और धार देगा ताकि इन देशों के साथ हर तरह के संपर्क को बेहतर किया जा सके। भारत की कोशिश होगी कि बांग्लादेश व म्यांमार के जरिये वह पूर्वी एशियाई देशों तक अपनी पहुंच बनाये। इससे भारत के पूवरेत्तर रायों के विकास में मदद मिलेगी।
• सासेक की स्थापना 16 वर्ष पहले भारत ने बांग्लादेश, भूटान व नेपाल के साथ किया था। लेकिन पिछले वर्ष सार्क देशों की बैठक के टलने के बाद कूटनीतिक स्तर पर भारत ने इस संगठन के विस्तार की प्रक्रिया तेज कर दी है। यह पहला मौका है जब दक्षिण एशिया के सात देशों ने एक साझा आर्थिक भविष्य को लेकर ‘विजन पत्र’ जारी किया है।
• विजन पत्र के मुताबिक सासेक के देशों के बीच हाइड्रोकार्बन व ऊर्जा के अन्य क्षेत्रों में करीबी सहयोग की सबसे यादा संभावनाएं हैं। सभी देशों के बीच साझा इकोनॉमिक कोरिडोर भी विकसित किया जाएगा। इसमें सासेक देशों के संगठन को दक्षिण एशिया को एक मजबूत आर्थिक संगठन बनाने की इछा जताई गई है।
• सभी देशों ने अपने संबंधित मंत्रलयों व विभागों को आदेश दिया है कि किस तरह से आगे सहयोग को बढ़ाया जाए, इस पर अलग से मशविरा दे। बेरोजगारी को इस पूरे क्षेत्र की एक अहम समस्या मानते हुए इसे दूर करने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने की बात भी कही गई है।
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