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अब भारतीय स्टेट बैंक के पास 37 करोड़ ग्राहक



• भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) अपने पांच सहयोगियों व महिला बैंक के विलय के बाद सोमवार को एक बैंक के तौर पर खुला। इसके साथ ही एसबीआइ के ग्राहकों की संख्या 37 करोड़ हो गई है। अब यह संपत्ति के लिहाज से दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शुमार हो गया है। एसबीआइ की मुखिया अरुंधती भट्टाचार्य ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैंक ने सामान्य तौर पर कामकाज करना शुरू कर दिया। 

• दो सौ साल पुराने एसबीआइ में सहयोगी बैंकों का विलय एक अप्रैल से प्रभावी हो गया है। अब सहयोगी बैंकों के ग्राहकों पर भी एसबीआइ की न्यूनतम बैलेंस संबंधी शर्ते और शुल्क लागू हो गए हैं। एसबीआइ व सहयोगी बैंकों के फंड को भी एकीकृत कर दिया गया है। 

• अब नए उत्पाद और सेवाएं अधिक निर्बाध तरीके से ग्राहकों के लिए पेश हो पाएंगे। विलय से एसबीआइ के खर्चो में कमी आएगी। अरुंधती ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि सहयोगी बैंकों में फंसे कर्जो (एनपीए) का अनुपात ज्यादा  होने के बावजूद कोई खास दिक्कत नहीं आएगी।

• विलय के बाद बैंक की शाखाओं की संख्या 24,000 हो गई है। उसके एटीएम का आंकड़ा 59,000 पर पहुंच गया है। एसबीआइ में जमा रकम 26 लाख करोड़ और कर्ज 18.50 लाख करोड़ रुपये हो गया है। विलय के बाद एसबीआइ के कर्मियों की संख्या बढ़कर 2,70,011 हो गई है। इसमें 69,191 कर्मचारी सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के हैं।

• अरुंधती ने बताया कि सहयोगी बैंकों के केवल 2,800 कर्मचारियों ने ही अब तक वीआरएस (स्वैछिक सेवानिवृत्ति योजना) के लिए आवेदन किया है। वीआरएस के लिए 12,500 कर्मचारी पात्र हैं। यह स्कीम पांच अप्रैल तक खुली है। 

• वीआरएस के लिए कुछ शतेर्ं भी रखी गई हैं। मसलन, इस स्कीम को चुनने वाले व्यक्ति को 20 साल की सेवा पूरी करना अनिवार्य है। साथ ही उसकी उम्र 55 साल या इससे अधिक होनी चाहिए।

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