• ब्रह्माण्ड का सबसे रहस्यमयी हिस्सा माने जाने वाले डार्क मैटर को लेकर एक चौंकाने वाला दावा सामने आया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डार्क मैटर जैसी किसी वस्तु या ऊर्जा का कोई अस्तित्व ही नहीं है। अब तक वैज्ञानिक मानते रहे हैं कि ब्रrांड का 68 फीसद हिस्सा डार्क मैटर से ही बना है।
• 1920 में गैलेक्सियों के वेग के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला था कि ब्रह्माण्ड का लगातार विस्तार हो रहा है। ब्रह्माण्ड का निर्माण एक छोटे बिंदु से हुआ था। पिछली सदी के मध्य तक वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि गैलेक्सियों के अंदर तारों की गति के लिए किसी अतिरिक्त शक्ति की आवश्यकता है।
• इसी के आधार पर डार्क मैटर की उपस्थिति का सिद्धांत दिया गया। 1990 के दशक में वैज्ञानिकों ने बौने तारों के विस्फोट के अध्ययन के बाद यह माना कि ब्रह्माण्ड में 68 फीसद हिस्सा डार्क एनर्जी का है और यह ब्रह्माण्ड में लगातार हो रहे फैलाव के लिए जिम्मेदार है।
• अब हंगरी की इओटवोस लोरेंड यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र गेबर रैज की अगुआई में शोधकर्ताओं ने डार्क मैटर या डार्क एनर्जी के सिद्धांत पर सवाल खड़ा किया है। उनका कहना है ब्रह्माण्ड का आदर्श मॉडल उसके विस्तार को तो समझाता है, लेकिन उसकी संरचना में होने वाले बदलाव को समझाने में असफल है।
• अगर ब्रह्माण्ड की संरचना में हो रहे बदलाव पर गौर करें तो डार्क मैटर जैसी किसी अदृश्य ऊर्जा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ब्रह्माण्ड के विस्तार को बिना डार्क एनर्जी की उपस्थिति के ही समझना संभव हो सकता है। यह शोध रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिसों में प्रकाशित किया गया है।
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