आईएनएस-शार्दुल
• भारतीय नौसेना का युद्धपोत ‘‘आईएनएस-शार्दुल’ इन दिनों दक्षिण हिंद महासागर में संयुक्त विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की गहन निगरानी पर निकला हुआ है। वह इस क्षेत्र में न सिर्फ भारतीय जल क्षेत्र, बल्कि इंटरनेशनल और दूसरे मित्र देशों के जलक्षेत्र में भी आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए दो माह के लिए तैनात किया गया है और अपने कार्य को बखूबी अंजाम दे रहा है।
• भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने बताया कि इस युद्धपोत ने तैनाती के प्रारंभिक चरण में 8 से 26 मार्च तक राष्ट्रीय तटरक्षक मॉरीशस के साथ बेहतर तालमेल के साथ मॉरीशस समुद्री जलक्षेत्र में निगरानी की। इसके बाद इस युद्धपोत ने ईईजेड निगरानी के प्रथम चरण के लिए 27 मार्च को सेशेल्स के ईईजेड में प्रवेश किया।
• इस युद्धपोत ने कमांडर रोहित मिश्रा की कमान में 28 मार्च को पोर्ट विक्टोरिया में प्रवेश किया। सेशेल्स में सेशेल्स तटरक्षक मुख्यालय में वहां के अधिकारियों के साथ इस पोत के क्रू की समन्वय बैठक हुई।आईएनएस शार्दुल की तैनाती का उद्देश्य आईयूयू में मछली पकड़ने और नशीले पदार्थो की तस्करी को रोकना है।
• इस जहाज ने इस क्षेत्र में व्यापारियों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं के साथ व्यापक पूछताछ की ताकि व्यापारिक यातायात के पारगमन के लिए समुद्र को सुरक्षित बनाकर सेशेल्स के ईईजेड की सुरक्षा की जा सके। यह युद्धपोत 6 अप्रैल को दूसरे ओटीआर और मिशन डिब्रीफ के लिए पोर्ट विक्टोरिया में प्रवेश करेगा।
• सेशेल्स की संयुक्त ईईजेड निगरानी की डिब्रीफ में सेशेल्स में नियुक्त भारत के उच्चायुक्त, एसपीडीए और सेशेल्स तटरक्षक के वरिष्ठ अधिकारी भाग लेंगे। 17 अप्रैल को भारत के लिए लौटने से पूर्व यह जहाज सेशेल्स की ईईजेड निगरानी के तीसरे चरण के लिए 8 अप्रैल को पोर्ट विक्टोरिया बंदरगाह से चलेगा।
• वर्ष 2009 से भारतीय नौसेना मेजबान देशों के अनुरोध पर देश आधारित व्यापक ईईजेड की गश्त करने के लिए इस क्षेत्र में जहाजों की तैनाती कर रही है। इसी जहाज की ऐसी पिछली तैनाती दिसम्बर, 2016 में की गई थी।
• मेजबान देश के तटरक्षक बल के साथ भारतीय नौसेना के जहाज की संयुक्त गश्त के लिए प्रतिबद्ध और समर्पित तैनाती इस क्षेत्र के राष्ट्रों के बीच संबंधों और मैत्री को मजबूत बनाती है। आईएनएस शार्दुल भारतीय नौसेना का एक बड़ा लैंडिंग शिफ्ट टैंक है, जिसका मुख्य कार्य सैनिकों, वाहनों और हथियारों को ढोने के साथ-साथ उभयचर उद्देश्य क्षेत्र में युद्ध उपकरण और कर्मिंयों को पहुंचाना है। इस जहाज को प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के साथ नियमित रूप से तैनात किया जाता है।
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