• हाल ही में अपने पूर्ववर्ती बराक ओबामा की जलवायु नीति को खत्म करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने पेरिस संधि से अलग होने के फिर से संकेत दिए हैं। प्रशासन का मानना है कि यह समझौता अमेरिका के लिए ठीक नहीं है। इससे भारत और चीन को लाभ होगा।
• पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी (ईपीए) के प्रशासक स्कॉट प्रूइट के हवाले से फॉक्स न्यूज ने रविवार को कहा इस समझौते के अनुसार अमेरिका को शुरुआती दौर में ही खर्च करना होगा। भारत, चीन जैसे देशों के लिए बाद में खर्च करने का प्रावधान किया गया है। इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
• समझौते से भारत और चीन को लाभ हुआ है। उन्हें कार्बन-डाई-ऑक्साइड कम करने के लिए 2030 तक कोई कदम नहीं उठाना है। हालांकि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जुड़े रहने की उन्होंने बात कही। ईपीए प्रशासक ने कहा कि जो विचार-विमर्श हुए हैं उन पर आगे काम होना चाहिए।
• इस बीच, न्यूयॉर्क के पर्यावरण संगठन नेचुरल रिसरेसेस डिफेस काउंसिल ने कहा है कि ट्रंप के फैसलों से ग्लोबल वार्मिग के खिलाफ लड़ाई नहीं रुकेगी।
• गौरतलब है कि पिछले महीने ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी कर स्वछ ऊर्जा की जगह कोयले के इस्तेमाल का रास्ता साफ कर दिया था। इसका पर्यावरण संगठन विरोध कर रहे हैं। ट्रंप के इस फैसले के बाद से ही पेरिस संधि से अमेरिका के अलग होने की अटकलें लगाई जा रही है। 2015 में 197 देशों ने इस संधि को स्वीकार किया था।
• यह समझौता जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने और वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस नीचे लाने के लिए किया गया था।
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